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Why only 9 is always 9 || 9 ही हमेशा 9 क्यों होता है ?

 4. Why only 9 is always 9 (9 ही हमेशा 9 क्यों होता है ?) :

अब आपके मन में प्रश्न उठ सकता है कि 9 ही हमेशा 9 क्यों होता है? 8 हमेशा 8 क्यों नहीं होता, 7 हमेशा 7 क्यों नहीं होता? दोस्तों केवल 9 ही हमेशा 9 नहीं होता। 7 भी हमेशा 7 होता है, 8 भी हमेशा 8 होता है, लेकिन इसकी अलग-अलग परिस्थितियाँ (conditions) हैं। इन्हें जानने के लिए आपको संख्याओं को लिखने की अलग-अलग पद्धत्तियों (numeration system) के बार में विस्तार से जानना होगा।


दाशमिक पद्धत्ति में (decimal system) संख्याओं (numbers) को लिखने के लिए अंकों (digits) को लिखने का आधार 10 होता है। इस कारण इस पद्धत्ति में लिखी गयी संख्याओं में अंकों का स्थानीय मान (place value) दायें से बायें (right to left) बढ़ने पर 10 गुणा बढ़ता जाता है। दाशमिक पद्धत्ति (decimal system) का सबसे बड़ा अंक (digit)9 है। उसी तरह द्विआधारी पद्धत्ति (binary system) का सबसे बड़ा अंक (digit)1 होता है। दाशमिक पद्धत्ति में 0 से लेकर 9 तक, इन 10 अंकों की मदद से संख्याएँ लिखी जाती हैं इसलिए इसे दाशमिक पद्धत्ति (decimal system) कहते हैं।

उसी तरह द्विआधारी पद्धत्ति (binary system) में संख्याओं को 0 और 1 केवल इन्हीं दो अंकों (digits) से लिखा जाता है। अगर आप 2 के अपवयों (multiples) को त्रिआधारी (trinary system) पद्धत्ति में लिखकर देखें तो उसके भी अंकों का योग (sum of the digits) हमेशा 2 ही होगा। इस विधि से आप किसी भी संख्या को उसी संख्या (number) के बराबर साबित कर सकते हैं। द्विआधरी पद्धति की खोज 1946 में JV Newman नामक गणितज्ञ (mathematician) ने की। और उन्हीं के खोजों के बाद इस रहस्य को समझा जा सका कि 9 ही हमेशा 9 क्यों होता है? अन्य अंकों के साथ ऐसी बात क्यों नहीं होती?-


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